
उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव दोनों लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. अखिलेश यादव कन्नौज से तो डिंपल यादव मैनपुरी से चुनाव मैदान में हैं. दोनों पति-पत्नी शुरुआत से ही अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी से आगे चल रहे हैं. अखिलेश यादव जहां कन्नौज से हजारों वोट से आगे हैं तो डिंपल यादव अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी से तकरीबन 1 लाख वोटों से आगे चल रही हैं.
कन्नौज और मैनपुरी सीटें मुलायम यादव के परिवार के लिए गढ़ रही हैं. इनमें से एक पर अखिलेश खुद तो दूसरी सीट पर उनकी पत्नी डिंपल यादव चुनाव मैदान में हैं. कन्नौज सीट से बीजेपी ने सुब्रत पाठक को चुनाव मैदान में उतारा. सुब्रत पाठक शुरुआत से ही अखिलेश यादव से पीछे चलते रहे. कन्नौज की पहचान देश-दुनिया में इत्र नगरी के रूप में है. इसे समाजवादी रूझान वाला क्षेत्र माना जाता है. इस सीट पर साल 1967 में हुए पहले चुनाव में मशहूर समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया सांसद चुने गए थे. इस सीट पर अब तक हुए 16 चुनावों में बीजेपी और कांग्रेस केवल 2-2 बार ही जीत पाई हैं. समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव, उनके बेटे अखिलेश यादव और बहू डिंपल यादव इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. साल 2019 के चुनाव से पहले हुए छह चुनावों में यहां से सपा को विजय मिली है.
मैनपुरी में डिंपल यादव का वर्चस्व
मैनपुरी सीट मुलायम परिवार के लिए हमेशा से ही महत्वपूर्ण रही है. समाजवादी पार्टी ने इस बार डिंपल यादव को यहां से अपना उम्मीदवार बनाया. डिंपल यादव अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के जयवीर सिंह पर निर्णायक बढ़त बना चुकी हैं. वह लगभग 80 हजार वोटों से आगे हैं और उनकी जीत पक्की मानी जा रही है. उत्तर प्रदेश के मैनपुरी को ‘यादव लैंड’ का एक महत्वपूर्ण पड़ाव माना जाता है. यहां बड़ी तादाद में यादव वोटर हैं. साल 1996 में इस सीट से मुलायम सिंह यादव चुनाव जीते थे. उसके बाद से इस सीट पर मुलायम सिंह यादव के परिवार का ही कब्जा है. उनके निधन के बाद 2022 में इस सीट पर कराए गए उपचुनाव में भी उनकी बहू डिंपल यादव इस सीट से जीती थीं.